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Wednesday, December 28, 2016

Nagarmotha - Mustak - Cyperus Rotundus - Tunga Gaddalu - Raw Maetrial नागरमोथा

                                        

1-नागरमोथा को संस्कृत में नागरमुस्तक या भद्र मुस्तक कहते हैं। यह नमी वाले तथा जलीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है।नागरमोथा का उपयोग पूजा पाठ हवन और औषधीय प्रयोगों में किया जाता है
इसके कंद को कुचलकर सूजन वाले हिस्सों पर लगाने पर आराम मिलता है। आदिवासी इसके पूरे पौधे को कुचलकर पेस्ट तैयार करते हैं और स्केबीस और त्वचा रोगों से ग्रस्त रोगियों की त्वचा पर इस पेस्ट को लगाकर आराम दिलाया जाता है।

2-आदिवासी क्षेत्रों में इसकी जड़ों का रस तैयार किया जाता है और रस की २ चम्मच मात्रा प्रतिदिन बच्चों को देने से उनकी याददाश्त बेहतर होने में मदद मिलती है।



3-इसकी जड़ों के रस की 2- 2 बूंद की मात्रा आंखों में डालने से कंजक्टीवायटिस की समस्या में आराम मिलता है। आखों से पानी गिरने की समस्या हो या आंखों में लालपन, इन सभी समस्याओं में नागरमोथा की जड़ों के रस का इस्तमाल किया जाता है।

4-चुटकी भर नागरमोथा का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकियों के लगातार आने का क्रम रूक जाता है। छोटे बच्चों को अक्सर तेजी से हिचकियाँ आने पर आदिवासी महिलाएं नागरमोथा को कुचलकर कुछ बूँदें बच्चों को चटा देती हैं।

5-किसी वजह से जीभ सुन्न हो जाए तो नागरमोथा का लगभग ५ ग्राम चूर्ण दूध के साथ दिन में दो बार लेने से आराम मिलता है। बच्चों में स्मरण शक्ति बढाने के लिए देहातों में लोग इस पौधे के रस की २ चम्मच मात्रा प्रतिदिन बच्चों के देते हैं।


PACK - 250 GRAM 

PRICE - 150/-
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